Thursday, January 9, 2014

राजनीति चाणक्य अब चौथे  वर्ष में प्रवेश कर चुका है /बधाई

1 comment:

  1. मैंने अभी अभी इस पत्रिका में प्रवेश किया हूँ, मैंने एक कविता इसी संदर्भ में लिखी थी जिसे मैं इस मंच पर प्रकाशित कर रह हूँ
    भगवान भरोसे"

    हैं सभी बातें करते सामाजिक न्याय की
    पर, असामाजिक तत्वों की साया में I
    हैं सभी बातें करतें धर्मों की,
    पर अधर्मी होकर I
    हैं सभी तत्पर आँसूं पोछने को
    पर, अश्रू गोले छोड़कर I
    हैं सभी बातें करतें रास्ट्र निर्माण की
    पर,
    रास्ट्र की ही मर्यादा बेचकर I

    हैं सभी बातें करतें होने की एक
    पर, फैला कर घोर जातिवाद I
    हाँ,
    लक्ष्य सभी का है एक
    भ्रान्ति में रख शासन करने का
    क्या है भविष्य इस देश का ?
    धर्म, मजहब, घोर जातिवाद, ?
    लूट, बलात्कार, और आतंकवाद ?
    सब बैठे हैं शायद भगवान भरोसे
    पर, भगवान बेचारा भी है अब लाचार
    फिर भी कर रहा है विचार
    पुनः लेने को नया अवतार I
    तब तक क्या ?
    रहें हम बैठे, भगवान भरोसे,
    भगवान भरोसे, भगवान भरोसे ?
    ???????????
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    प्रस्तुति "ललित निरंजन"

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